परिचय

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परिचय

सज्जनों यद्यपि दिल्ली खाटली प़वासी बन्धुओं को संगठित करने की नींव सन् 1934 में प़थम सामुहिक ‘सत्यदेव पूजन’ के आयोजन से पड़ गई थी, किन्तु देश-काल की विपरीत घटनाओं एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते इस कार्य को उचित मूर्तरूप नहीं दिया जा सका, फिर भी प़वासी बन्धुओं का आपसी मेलजोल, नये लोगों का जुड़ाव दिनों दिन बढ़ता गया तथा सन् 1934 से 1944 तक सामुहिक रूप से ‘सत्यदेव पूजन’ का आयोजन बड़े हर्षोल्लास के साथ होता रहा। सन् 1945 के दौरान जब देश आजादी का संघर्ष चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका था और ऐसे समय फिर एक बार देश में खाद्यान्न संकट उत्पन हो गया। जिसका असर खाटली की एकता पर भी देखने को मिलता है। परिणामस्वरूप सन् 1945 से 1948 तक सत्यदेव पूजन नहीं मनाया जा सका। “कहते हैं – जहां चाह वहां राह।” देश विभाजन के उपरान्त उपजे सांप्रदायिक दंगों में कई निरीह लोगों को अपने प्राण गंवाने पड़े। ‘दीवा माता’ की असीम अनुकम्पा से खाटली के बन्धु अन्यत्र शहरों (पाकिस्तान) से दिल्ली सुरक्षित पहुंचे। पट्टी के सभी बन्धुओं का सुरक्षित पहुंचने तथा साम्प्रदायिक सद्भाव बन जाने के पश्चात सभी पट्टी प़वासी बन्धुओं ने पुनः ‘सत्यदेव पूजन’ आयोजित करने का निर्णय लिया। ऐसे ही शुभ अवसर पर दूरदर्शी, सामाजिक भावना से ओत-प्रोत, बुद्धिजीवी वर्ग ने 2 फरवरी,1949 को इस संगठन को संस्था के रूप में परिवर्तित करने का निर्णय लिया, जिसकी परिणीति “पट्टी खाटली सामाजिक विकास मण्डल” के रूप मे हुई। “स्वामी विवेकानंद तो संगठन की अवधारणा पर ही मुग्ध थे। उन्होंने पाश्चात्य जगत के संगठन क्षमता की अत्यंत प़संशा भी की है।
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गढ़वाल पट्टी खाटली सामाजिक विकास मंडल (पंजी.) दिल्ली

गढ़वाल पट्टी खाटली सामाजिक विकास मंडल (पंजी) दिल्ली का भारत की आजादी से गहरा संबंध है| जब कर्मठ समाजसेवी और देशभक्तों के अथक प्रयास से हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो अंग्रेज जाते – जाते देश तो दो भागों में विभाजित कर गये – हिंदुस्तान और पाकिस्तान|…

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उद्देश्य

"खाटली सामा० विका० मण्डल, दिल्ली" का मुख्य उद्देश्य "खाटली प़वासी बन्धुओं को एक सूत्र मे पिरोकर संगठित करना तथा सामुहिक रूप से पट्टी खाटली का चहुंमुखी विकास करना है।" देश और पट्टी खाटली के हितों की रक्षा, खेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि, यातायात, सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, सहकारिता एवं आपसी प्रेम-सद्भाव…

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पट्टी खाटली (भोगोलिक परिचय)

पट्टी खाटली, जिला पौड़ी गढ़वाल के उत्तराखंड राज्य की सबसे बड़ी पट्टी के नाम से विख्यात है। इसमें 36 ग्राम सभाऍ (लगभग 104 गॉव) समहित है। पट्टी के बीचो-बीच से ‘खटलगढ़’ नामक प्रसिद्ध नदी बहती है जो पूर्व में दूधातोली पर्वत से निकलकर पश्चिम दिशा में (दुनाव में) पूर्वी नयार…