गढ़वाल पट्टी खाटली सामाजिक विकास मंडल (पंजी) दिल्ली का भारत की आजादी से गहरा संबंध है| जब कर्मठ समाजसेवी और देशभक्तों के अथक प्रयास से हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो अंग्रेज जाते – जाते देश तो दो भागों में विभाजित कर गये – हिंदुस्तान और पाकिस्तान| पाकिस्तान से हमारे लोग स्वदेश आने लगे| जिसके फलस्वरूप खाटलीवासी भी अधिक मात्रा में देश की राजधानी दिल्ली में ही प्रवास करने लग गये| इस प्रकार से खाटली वासियों का परस्पर मेल-जोल होने लगा| इस अपनत्व की भावनाओं के कारण दिल्ली में प्रतिवर्ष श्री सत्यनारायण कथा का आयोजन एवं प्रतिभोज भी होने लगा| इस अन्तराल में खाटली के कुछेक बुद्धिजीवियों ने अनुभव किया कि आज से इस प्रगतिशील युग में हमें भी पट्टी स्तर पर एक संस्था का गठन करना चाहिए, जिसके माध्यम से हम पट्टी की सुख-सुविधाओ के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों से समय एवं आवश्यकताओं के अनुसार निवेदन कर सके|
इस संस्था (मंडल) की स्थापना धार्मिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक भावनाओं के अनुरूप ही हुई। सन 1949 में मंडल का गठन विधिवत ‘गढ़वाल पट्टी खाटली सामाजिक विकास मंडल (पंजीकृत) दिल्ली‘ के नाम से हुआ। जिसमें मुख्य रूप से पट्टी के चहुंमुखी विकास के प्रमुख उदेश्यों को निर्धारित किया गया। जिसके अनुसार मंडल, पट्टी के विकास, जन सुख-सुविधाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, संचार, पेयजल एवं बिजली आदि के लिए संबंधित सरकारों से समय-समय पर अनुरोध करता रहा है|
खाटली के अराघ्य दीवा (दुर्गा) मॉ का मंदिर उस समय के केन्द्रीय स्थान किदवई नगर, नई दिल्ली में 1974 में स्थापित किया गया, परन्तु कुछ असामाजिक तत्वों ने मंदिर को खंडित कर दिया जो कि प्रवासीजनों के लिए एक मान सम्मान का विषय बना।
उस समय प्र प्रवासीजनों में जो अपनत्व की भावना प्रकट हुई उसके आधार पर पुनः 21 जून 1974 को मंदिर निर्माण का कार्य आरम्भ होकर 23 जुलाई 1975 को मॉ दीवा का मंदिर, नई मूर्ति की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के लिए दर्शनार्थ नियमित रूप से उपलब्ध हुई ।
21 अप्रैल 2013 को आध्यात्म गुरू श्री भोले महाराज और माता श्री मंगला जी (हंस लोक) के द्वारा इस मंदिर का नवीनीकरण कराया गया। मंदिर में वर्तमान में मां दीवा (दुर्गा), श्री गणेश, श्री हनुमान, श्री राम परिवार, राधा कृष्ण, महादेव भोले शंकर, शिव परिवार (शिवलिंग सहित), भैरो नाथ, शनि भगवान, नवग्रह और श्री साईनाथ महाराज की मूर्तियां विराजमान है। मंदिर में सत्संग भवन के अतिरिक्त 18 फीट ऊंची गुम्बद की छटा देखते ही बनती है।
मंडल का मुख्य कार्य पट्टी खाटली के चहुंमुखी विकास ( शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, संचार, पेयजल बिजली, एवं पर्यटन आदि) को बढावा देना है, इसके लिए उत्तराखण्ड सरकार से राजनीतिक एवं सामाजिक सहयोग समय-समय पर लेते रहे हैं और भरसक प्रयत्न करते है कि सरकारी एवं गैर सरकारी योजनाएं जिनसे समाज के हर वर्ग का कल्याण हो सुचारू रूप से लागू हो पाए, इसके लिए संबंधित अधिकारियों को पत्रों के माध्यम से अवगत करवाया जाता है।
वर्तमान में खाटली प्रवासियों की जनसंख्या दिल्ली में लगभग 20,000 से भी अधिक है, जिस संस्था के परिवार में इतनी जनसंख्या हो वह संस्था असंभव कार्यो को संभव बना सकती है। वर्तमान में इसकी शाखायें बम्बई, भोपाल, गाजियाबाद, फरीदाबाद, जयपुर और गढ़वाल में है।
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